देश का पेट भरने वाला किसान आज अपने लिए ही दो जून की रोटी के लिए बिलखता नजर आ रहा है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि जब किसान की ऐसी दुर्गती हुई हो। आज के खेत-खलिहानों में काम करने वाला किसान बचपन से ही कई त्रासदी देखता आ रहा है। सरकारी अपराध व्यूरो की मानें तो सन 1995 से दो लाख सत्तर हजार 940 किसान अत्महत्याएं कर चुके हैं। जिनके पीछे एक पूरा परिवार अपंग व असहाय हो जीने के लिए मजबूर गांवों में धक्के खा रहा है। उन परिवारों की सूध लेने के लिए न तो कभी देश की पीएम मोदी पहुंचते हैं न ही राहुल बाबा। इधर इस बीच ओलावृष्टि की मार दोबारा सहने के कारण से मीडिया ने जरूर किसानों को खेत खलिहानों से निकाल टीवी व अखबारों में पेश कर दिया हो लेकिन सच यही है कि देश का पेट भरने वाले भूखे किसान की हालत पर किसी को भी दया नहीं आ रही है। इस साल मार्च और अप्रैल में हुई भारी बारिश व ओलावृष्टी ने रबी की फसलों को ही नष्ट नहीं किया बल्कि देश के कई घरों को तबाह कर के रख दिया। तबाह हुए इन घरों की संख्या का अंदाजा लगा पाना भी कोई आसान काम नहीं है। सर्वे बताते हैं कि उत्तर प्रदेश के 70 जिलों मे...