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बड़ बोले नेता चलाते हैं राजनीति

                     बड़ बोले नेता चलाते हैं राजनीति देश के आम चुनाव जैसे जैसे नजदीक आते जा रहे, वैसे वैसे नेताओं कीे शब्दावली में भी बदलाव आता जा रहा है। राजनीति में एक दूसरे के काम का आकलन कर अपेक्षा करना तो जनहीत के लिए ही लाभदायक साबित होता है। परंतु आज के परिपेक्ष में यह आकलन बिखरता सा नजर आ रहा है। एक से एक नेता दूसरे नेता का निरादर करने में लगे हुए हैं। यहां बात किसी एक दल या नेता कि नहीं अपितु बात हो रही है संपूर्ण देश को चलाने वाले नेताओं के आचरण की। पीछले कुछ दिनों से एक के बाद एक अटपटे बयान सुने को मिले। कोई किसी नेता कि बोटी बोटी कर देना चाहता है तो कोई किसी को कुत्ता, पाकिस्तानी, एके 49 और न जाने क्या क्या बना डालता है। चुनावी मौसम कि गर्मी का असर यह है कि अब तो स्वंय नेता ही नियमों का उल्लंघन करने का उपदेश देते हैं। चुनावी प्रक्रिया में छोलमाल करने के लिए खुद ही दोबारा मतदान करने को उत्साहित करते हैं। यह चुनावी सरगर्मी ही तो है जिस कारण वर्षों तक एक दल की रोटियां तोड़ने वाले नेता अब दूसरे गुटों में पलायन कर रह...

बिकाऊ धर्म, बिकता क्रिकेट

                   बिकाऊ धर्म, बिकता क्रिकेट विदेशी धरती से  धर्म बनकर, जहन में जूनून बनकर और प्रेमी की प्रेमिका बनकर आए तुम…। जी हाँ यहां बात हो रही है विदेशी खेल क्रिकेट की। जिसकी छाप आज पूरे भारत में है। घर का बच्चा- बच्चा क्रिकेट का दीवाना है। स्थिति यह है कि राष्ट्र के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति के बारे में शायद ही उन्हें जानकारी न हो परंतु देश कि क्रिकेट टीम के बारे में उन्हें अवश्य भली-भाँति पता होगा। इस खेल में भी उठा-पटक लगी रहती है। चाहे चौंकों, छक्कों से या करोड़ों पैसों से चमचमाते खिलाड़ियों से। सालों से चले आए दो प्रकार के व्रिफकेट मैचों की परंपरा को छोड़ जन्म लिया एक और शनदार प्रकार ने, जी हां 20-20। इसके आते ही दर्शकों व खेल प्रमियों में उत्सुकता, जिज्ञासा, व जोश की एक तीव्र लहर दौड़ पड़ी। इसी लहर कि हंुकार को रोमांच से परिपूर्ण करते हुए बाजारवाद के स्वरूप से जन्मा आईपीएल ;इंडियन प्रिमियर लीगद्ध। इसके आगाज से ही देश का र्ध्म बन चुके खेल का बजारवाद प्रारंभ हो ग...