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रणनीति का हिस्सा है ये चुनावी जीत




जीत के शंखनाद से यह घोषणा की गई कि विश्व के सबसे बडे़ गणतंत्रा के अगले प्रधनमंत्राी नरेन्द्र मोदी होंगे। इस घोषणा के साथ ही विश्व भर से बधईयों व शुभकामनाओं का ऐसा सिलसिला शुरू हो गया जिसके अभी तक थमने का नाम नहीं लिया जा रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा ने खुद पफोन कर मोदी को बधइयां दि और अमेरिका आने का न्यौता दिया।  चुनावी नतिजों के आते ही पूरे राष्ट्र में जीत का महोत्सव मनाया जाने लगा। ऐसा होना भी लाज्मी है। आखिरकार नरेन्द्र मोदी ने भाजपा को जो जीत दिलाई है उसके लिए भाजपाई न जाने कितने वर्षांे से प्यासे थे। इसके साथ ही भारत में 30 वर्षो के बाद पूर्ण बहुमत से एक तन्हाई राज वाली सरकार बनने जा रही है। इस चुनावी जीत ने पूरे देश को असीम खुशी का माहौल दिया है। मतदान के नतीजों से यह स्पष्ट हो जाता है कि देश के दिल और दिमाग में बस नरेन्द्र मोदी हैं। चुनावी नतिजों के आते ही मोदी अपनी मां के पास पहुचें और उनसे आर्शीवाद लिया। भला इसे किर्तिमान और क्या होगा । भाजपा के साथ साथ देश को एक नई दिशा देने के लिए मोदी ने दिन रात कड़ी मेहनत की है। उन्होंने एक निजी टी.वी. चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा था, वे पूरे दिन में मात्रा 03 से 04 घंटे ही सोते हैं। वो लगातार अपनी जीत की रणनीति तैयार करने में तत्परता से मग्न रहते थे। मोदी कि कार्यशैली को देखा जाए तो मोदी ने देश की नब्ज को पकड़ लिया । उन्होने जान लिया था कि देश को एक नई उम्मीद चाहिए, एक नया चेहरा चाहिए, एक सशक्त नेता चाहिए। देश को रोजगार मंहगाई, विकास ,भ्रष्टचार जैसी गंभर समस्याओं से छुटकारा दिलाने वाला नेता चाहिए था। जिसके लिए मोदी ने खुद को एक प्रबल दावेदार के रूप में पेश किया। उन्होंने सभी अच्छे प्रोजेक्ट्स और विकास कार्यों के साथ साथ खुद को प्रोजेक्ट किया। गुजरात में हुए हर काम के साथ, उन्होंने अपने नाम का भी प्रचार किया। जिसका असर यह हुआ कि मतदाताओं के दिमाग में विकास के नाम पर मोदी की तस्वीर उभरने लगी। अब जरूरत थी तो इस छवि को मनाए रखने की और मतदातओं के दिमाग मंे अपना प्रतिबिंब बनाए रखने की। उन्हें अपने लिए जोशीले प्रचारकों की पफौज तैयार करनी थी। जो उनके लिए जन-जन, घर-घर, गलि-गलि तक जाकर प्रचार कर सके। उनके संदेशों को आम जनता तक पहुंचा सके। इसके लिए मोदी ने देश के युवाओं का सहारा लिया। उन्होंने युवओं कों अपने जोशपूर्ण भाषणों से उत्साहित किया, कहानियांे व उदाहरणों से प्ररेणा दी, देश के युवओं की प्रशंसा करी और उन्हें रोजगार देना का वायदा किया। जिससे मोदी युवाओं से सीध्े जुड़ सके। इसके बाद तो जो समर्थन मोदी को मिला वह देखने लायक है। युवओं ने उन्हें और लोगों से जोड़ा। इसी वजह से सोशल मीडिया पर नरेंद्र मोदी की उपस्थिति बहुत ज्यादा है। उनके समर्थन के लिए कई अकाउंट्स व पेज हैं। जहां एक ओर नरेंद्र मोदी के अपने ही टिवट्र हैंडल पर ही करीब 39 लाख 70 अनुयायी हैं तो वहीं दूसरी ओर उनके पफेसबुक पेज पर 1,47,29646 लाइकस हैं और 17,56,314 टॉकिंग अबाउट है। इससे सापफ जाहिर होता है कि नरंेद्र मोदी सुर्खियों के साथ साथ सोशल मीडिया पर भी सुचारू रूप से सव्रिफय हैं। सिपर्फ यही नहीं नरेंद्र मोदी ने जो जोश व उत्साह युवाओं मंे पूफंका उससे युवाओं ने उनकी उपस्थिति हर जगह सिद्ध् कर दि, पिफर वह चाहे वहट्स एप हो या पिफर यू-टयूब और ऑरकूट हो। मोदी द्वारा प्रयोग किए गए शब्दों ने भी उनकी छवि को बरकरार रखने में एक बड़ा योगदान किया। जनता को संबोध्ति करने के तरिके से लेकर विपक्षियों पर किए गए हमले, सब में मोदी ने शब्दों का प्रयोग बखूबी किया। मेरे भाइयों-बहनों, मेरे देशवासियों जैसे शब्दों से उन्होंने जनता को दुलारा व उनसे अपना सम्बंध् भी स्थापित किया। उन्होंने चायवाला, जहर की खेती, परिवारवाद और शहजादा जैसे अल्पफाजों का प्रयोग कर विपक्षियों पर खरा वार भी किया। मोदी ने चांद तक का सपफर तय किया। करीब 3 लाख किलोमीटर का सपफर, 380 संसदीय बैठकें, हजारों रैलियां व 3डी जनसभांएं औा चाय पर चर्चा जैसे कार्यक्रमों से उन्होंने हर भारतीय के दिल में अपनी तस्वीर उतार डाली। देश को एक बेहतर कल देने का वादा पूरा करने के लिए मोदी को जरूरत थी तो एक बड़े कद की जो था प्रधनमंत्राी। विश्व के सबसे बड़े गणतंत्रा भारत के प्रधनमंत्राी का पद और भाजपा ने यह जान लिया था कि इस पद के लिए नरेंद्र मोदी ही सबसे बेहतर व योग्य उम्मीदवार है। 16 मई को आए नतिजों ने यह साबित कर दिया कि अब मोदी को नहीं बल्कि देश की जनता को उनकी जरूरत है। मोदी की कड़ी मशक्त रंग लाई और देश ने मोदी पर भरपूर प्यार बरसाया। इस लोकसभा चुनाव में मतदातओं के प्यार व स्नेह ने भारतीय राजनीति की पृष्ठभूमि को ही बदल कर रख डाला। इससे उपजे चुनावी नतिजों ने राजनीतिक पंडितों को भी दंग कर डाला। इसने मोदी को अनुमानित मतों से भी ज्यादा मत दिया और मोदी को विजयी बनाया। आखिरकार, यही तो है भारत की राजनीति जहां जनता अपने प्रियवरों पर जमकर प्यार उड़ेलती है और परेशान करने वालों का नामों-निशां तक मिटा डालती है।




रजत त्रिपाठी कच्ची कलम की श्याही से.… 

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