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अंधियारी रात और रोशनी...

शादी हुए एक साल से ज्यादा हो गया है.. लेकिन आज भी न जानें क्यों विकास को कहीं न कहीं लगता है कि कभी न कभी तो रोशनी लौट आएगी… लौटा आएगी विकास के पास शायद अपने वादों को निभाने या फिर उसे मासूम प्यार के लिए जो न रिश्ते समझते थे और न ही परिस्थिति, समझते थे तो केवल प्यार… रोशनी की शादी हो जाने के बाद भी विकास आगे न बढ़ पाया था लेकिन इस बात का एहसास ही उसे करीब दो साल बाद हुआ. रोशनी ने जब फोन पर कहा कि किसी और के साथ उसका रिश्ता तय हो गया तो विकास ने ठान लिया कि अब न वह रोशनी को फोन करेगा और नहीं रोशनी की निजी जिंदगी में दखल देगा… मन में ऐसा ठन विकास ने करीब सालभर रोशनी से बात करने की कोशिश तक न की... रोशनी की शादी हो जाने के बाद कही महीनों तक वह खुद को समझाता रहा कि रोशनी नहीं तो कोई और कभी न कभी अपने हाथ में दिया लिए उसकी अंधियारी जिंदगी में आएगी… लेकिन उसे कहां पता था कि वह अब तक रोशनी से आगे बढ़ ही नहीं पाया था… वह अब भी वहीं खड़ा था.. खड़ा था उस रोशनी के इंतजार में जिससे उनसे बुढ़ापा साथ बितानी का वादा लिया था… उस रोशनी के इंतजार में जिसके जिस्म से नहीं बल्कि उसके हो
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Phone Call: A bridge after 2 years!

So here it is... back after almost a year... The last time I opened my blog and wrote a piece   (सरकारी प्रेम कहानी)  was Sept. 20th, 2017... Representative Image (Credit: Digit ) It was a lazy noon of Sunday and Vikas was tired of being home for the last four days. He had no one to talk to and nothing to do in these four days. So this Sunday evening he decided to call his old friends... but which old friends? On the journey of accomplishing the  Busy Professional tag, he had lost contact of almost everyone from his university. But in the desire to talk with some old friends, he started scrolling down his 600-contacts phonebook, and all of sudden his finger stopped at the name of a person whom he met only once in 2015. This name was "Shama Khan, Noida" He paused for a minute and scenes from 2015 started to run through his mind. Shama Khan, The same Shama Khan who was not merely his Facebook friend but also a senior in the industry, made his finger stop at the phon

सरकारी प्रेम की कहानी!

इस मॉडर्न हो चुके जमाने में भी कई सदियों पीछे थी उनकी सो कॉल्ड प्रेमकथा। उसे केंद्र सरकार की योजनाओं की तरह फंड तो मिलता था लेकिन हकीकत में उसका उपयोग न हो पाता था। वट्सएप और फेसबुक की दुनिया से दोनों मुखातिब तो थे। लेकिन पुरानी फिल्मों की तरह मॉडर्न पत्राचार ब्लॉग के जरिए ही होता था।  वह रात में उल्लू की तरह बैठकर लिखता तो वह वहां सात समुद्र पार भोर में उठी किसी गौरेया की तरह उसे पढ़ती।  कभी गुस्साती या शर्माती तो 12 रुपये प्रति मिनट की कॉल दर से यहां इस उल्लू को नींद से जगा देती। कभी हफ्ते-15 दिन में दोनों अपनी स्टोरी के लो बजट को भूल, 80-90 मिनट तक बातें ही करते रहते। पता नहीं क्या मिलता था ऐसी बातों से...  खैर, अब न और पत्राचार होगा और न ही कॉल रेट की टेंशन... गुड बाय... टेक केयर, विथ लव फ्रॉम इंडिया

बरसात के मौसम में तुम, मैं और यह सफऱ!

"रख सकते हो तुम मेरे कंधे पर हाथ" सर के पीछे विकास का हाथों को महसूस कर रोशनी ने कहा...  "अधिकार नहीं है मुझे... I don't have the rights" हाथों को झट से नीचे खींचते हुए विकास ने कहा था  "अच्छा!! ज़रूरी है कि हर किसी चीज़ के लिए राइट हो ?" "हहम्म...हाँ! ज़रूरी है" दोनों चुप चाप चलने लगे... दोनों को जल्दी थी। विकास को ऑफ़िस पहुँचना था और रोशनी को घर। लेकिन बावजूद इसके दोनो के क़दम जैसे बढ़ ही नहीं रहे थे। कॉफ़ी हाउस से मेट्रो की तरफ़ बढ़ते उनके क़दम के बीच कहीं ख़ामोशी, कोई सन्नाटा था! इस बीच दोनों के हाथों की छोटी ऊँगली कब एक दूसरे के साथ हो गयी पता ही नहीं चला। राजीव चौक से रोशनी को घर जाने के लिए येलो लाइन की मेट्रो पकड़नी थी तो विकास को ऑफ़िस जाने के लिए स्टेशन के बाहर से ऑटो! रोशनी ने ज़िद्द की कि मुझे मेट्रो स्टेशन के अंदर तक तो छोड़ दो।  "यार मुझे ऑफ़िस के लिए लेट हो रहा है... मुझे निकलना है..." "अच्छा... तो चल तेरे ऑफ़िस चलते हैं। मैं वहाँ से मेट्रो ले लूँगी " "ठीक है... This is good" मुँह बनाते

नदी तुम, मैं पत्थर

I wrote these lines in Rishikesh.   "वो नदी सी बहती है, मैं पत्थर सा मिल जाता हूं वो आगे नई हो जाती है, मैं वहीं खड़ा रह जाता हूं ताकत है, शक्ति है वो न जाने कितनों की आफत है, प्यार से मिलती है, छूकर किनारा मेरा सब ले जाती है माया है, छाया है न जाने कैसी वो काया है, पहचानकर कर भी न जाने क्यों उसने ठुकराया है"

Oye Sardar 12 Baj Gaye!

''Oye Sardar 12 Baj Gaye!'' This is what people used to say to tease Sardar  friends! But is it really cool! People say Sardars can do anything if it is 12'o Clock! Whenever I used to hear such lines I feel bad! So I just tried to break this stereotyping with my friends. We went to the centre of Delhi, Connaught Place and asked one of our friend to stand in public with a board!! He did same and the way people responded was unexpected! Watch what happened that day in CP : Don't forget to Subscribe Mute Voices here.

Damdama Lake : Weekend Gateway from Delhi

#RidingDiary01: Damdama Lake, Delhi to Sohna It was my week off and I had no plans for the day! I called up my friend and we decided to have a long ride of my Royal Machine, Bullet Classic 350. So we headed towards Damdama Lake, Sohna. It was an awesome trip for us. Check out what we did in video here :