दिन पर दिन बिते जा रहे हैं, भगवा रंग में रंगी सरकार देश भर में सरपट दौड़े जा रही है... लोकसभा के बाद से हरियाणा, महाराष्ट्रा और अब जम्मू कश्मिर के साथ साथ झारखंड के नतिजे साफ कहते हैं कि देश में भाजपा लहर है। यदि इन सभी नतिजों को भी देख कोई मोदी लहर या भाजपा लहर को खारिज करता है तो वो कुछ और ही होगा राजनीतिक पंडित नही होगा। बहरहाल यहां मुद्दा किसी के राजनीतिक पंडित होना नही है। यह मुद्दा है देश की राजनीति का... देश में सरकर बनी और मंत्री काम कर रहे हैं। अब राज्य चुनावों में मिलने वाली जितों का श्रेय भाजपा चाहे मोदी को दे या फिर केंद्र सरकार के काम को लेकिन एक बात तय है कि इस वक्त देश की राजनीतिक पृष्णभूमि पर केवल भगवा रंग की स्याही ही चल रही है। लेकिन जिस तरह किसी भी लाईन में केवल एक बिंदु नही होता ठीक उसी तरह लोकतंत्र में कोई एक दल नही रह सकता है। यहां समझने की जरूरत यह है कि अगर देश में केवल एकमात्र भगवा परचम फहराता ही रहता है तो इसके सामने लोकतंत्र का दूसरा बिंदू कौन होगा? इतने सालों से देश को लूटने वाली या सेवा करने वाली कांग्रेस तो मैदान से बाहर हो चुकी है। राहुल गांधी के नेतृत्व में उसका वापस आ पाना संभव मालूम नही होता है। इसके बाद लोकतंत्र के दूसरे बिंदू का रूप लेने को इच्छुक बनी बैठी तथाकथित तीसरा मोर्चा अपने आप में ही अपंग लगते हैं। जो तीसरा मोर्चा, लोकतंत्र के इस मैदान में दूसरा बिंदू बनने का ख्वाब संजोए पालने में झूल रही है उसका इतिहास भले ही ठीक रहा हो लेकिन फिलहाल उसके सितारे भी गरदिश में नजर नही आते हैं। जहां तक बात इतिहास की है तो तब वह जेपी आंदोलन था जिसने देश को कई राजनेता दे दिए। लेकिन अब तीसरे मोर्चा के किसी भी नेता के पास न ही वो आंदोलन है न ही जनता को इनमें कोई क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता नजर आती है। ऐसे में देश की लोकतांत्रिक रणभूमि का दूसरा बिंदू हो तो हो क्या। पर क्या देश का राजनीतिक मैदान यही तक सीमित है। क्या जनता व दूरगामी राजनीतिक पंडितों ने यह मान लिया है कि आने वाले साल केवल और केवल भाजपा के हैं। ठहरिए, जरा गौर करिए... गौर करिए भारत सरकार के कामकाज पर। मोदी सरकार के आते ही संघ की सरकार में उठाबैठ ज्यादा हो गई। वो हर मुद्दे के भगवाकरण के लिए और दमदार तरिके से काम करने लगी। धर्मांतरण का किस्सा जो छुपकर हुआ करता था वो सरेआम सीना ठोक के होने लगा। सरकार के मंत्रियों के अंदर छुपे रामजादे टाइप हिंदू दहाड़ के सामने आने लगा। आखिर पूर्ण बहुमत की सरकार है तो फिर डर काहे का... यह किसी से नही छुपा है कि भारत के प्रधानमंत्री पद पर बैठे नरेद्र मोदी को उस पद तक पहुंचाने के पीछे संघ का बहुत बड़ा हाथ है। वो संघ ही था जो केवल और केवल मोदी को पीएम बनाने के लिए ही बनारस के गलियों में निकल खुलेआम किसी राजनीतिक दल का सहयोग कर रहा था। यहि कारण है कि मोदी को न चाहते हुए भी संघ की सभी गतिविधियों को नजरंदाज करना पड़ रहा है। जिसके चलते दिन पर दिन देश में हिंदुत्व का एजेंडा तुल पकड़ते जा रहा है। हिंदुत्तव का एजेंडा रूकने का नाम ही नही ले रहा है। भले ही इस एजेंड़ा से संघ व हिंदू संगठनों को कोई फायदा हो या न हो लेकिन देश की राजनीतिक रणभूमी का दूसरा छोर बनने की तैयारी करने वाली पार्टीयों को जरूर फायदा पहुंचेगा। जिस तरह धीरे धीरे मोदी अपने आपको सेक्युलर दर्शाने की कोशिश करते है वैस ही कोई न कोई मंत्री अपना फुंह फाड़ सब चौपट कर देते हैं।

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