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Showing posts from February, 2014

बिकाऊ धर्म, बिकता क्रिकेट

                   बिकाऊ धर्म, बिकता क्रिकेट विदेशी धरती से  धर्म बनकर, जहन में जूनून बनकर और प्रेमी की प्रेमिका बनकर आए तुम…। जी हाँ यहां बात हो रही है विदेशी खेल क्रिकेट की। जिसकी छाप आज पूरे भारत में है। घर का बच्चा- बच्चा क्रिकेट का दीवाना है। स्थिति यह है कि राष्ट्र के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति के बारे में शायद ही उन्हें जानकारी न हो परंतु देश कि क्रिकेट टीम के बारे में उन्हें अवश्य भली-भाँति पता होगा। इस खेल में भी उठा-पटक लगी रहती है। चाहे चौंकों, छक्कों से या करोड़ों पैसों से चमचमाते खिलाड़ियों से। सालों से चले आए दो प्रकार के व्रिफकेट मैचों की परंपरा को छोड़ जन्म लिया एक और शनदार प्रकार ने, जी हां 20-20। इसके आते ही दर्शकों व खेल प्रमियों में उत्सुकता, जिज्ञासा, व जोश की एक तीव्र लहर दौड़ पड़ी। इसी लहर कि हंुकार को रोमांच से परिपूर्ण करते हुए बाजारवाद के स्वरूप से जन्मा आईपीएल ;इंडियन प्रिमियर लीगद्ध। इसके आगाज से ही देश का र्ध्म बन चुके खेल का बजारवाद प्रारंभ हो गया। एक से एक दिग्गज खिलाड़ी व देश के विभिन्न शहरों से आए युवाओं की झोली में इसने करोड़ो की बारिश शुरू कर दी। खि

अराजक, अभिमानी व अपरिपक्कव राजनेता

अराजक, अभिमानी व अपरिपक्कव राजनेता सरकार बनते ही जन लोकपाल मिला, महिलाओं की सुरक्षा हेतु कमांडों पफोर्स, कांग्रेसी व शीला दीक्षित जेलों में बंद हुए व ऐसे ही ढेरों बेबुनियादी वादों को पूरा करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्राी राजधनी की राजनीति में एक नया मोड़ ले आए हैं। सरकार में न होने से पहले इमानदार केजरीवाल सीबिआई को मुक्त करने की बात कहते थे, अपने प्रचार में भी शीला दीक्षित को दिल्ली बलात्कार में लाचार बता और सड़कों पर प्रदर्शन करके वोट मंागते थे। ऐसे ही तमाम मुद्दों पर ख़रा उतरने के लिए ईमानदारी के ठेकेदार अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्राी रात-रात भर जाग कर कार्य कर रहे हैं। वो इस बात का भी खास ख्याल रखते हैं कि उनके यह तमाम कर्यशैली आवाम को पता चल सके तभी तो बिना मीडिया के कोई भी कदम नहीं उठाते हैं। राजधनी के आदरणीय कानून मंत्री सोमनाथ भारती ने हाल ही में युगांडा की महिलाओं के घर पर मध्यरात्राी में हमला बोल दिया। यदि उन विदेशी महिलाओं की मानें तो हमारे इमनदार मंत्राी जी ने उनके साथ न केवल अभद्र व्यवहार किया अपितु मार पीट भी कि। भारत के संविधन में यह स्पष्ट रूप से लिखा है कि

भारत के 'साइक्लनिक हिंदू'

भारत के 'साइक्लनिक हिंदू' कोलक्ता के हाईकोर्ट के वकील नरेन्द्रनाथ ने 12 जनवरी 1863 को दिया था भारत को एक महान संत, जिनको विश्व ने स्वामी   विवेकानंद के नाम से पहचाना। स्वामी विवेकानंद जी केवल एक महान संत ही नहीं, एक महान देशभक्त, वक्ता, विचारक, लेखक व मानव प्रेमी थे। उन्होनें अपने विचारों से केवल भारतवर्ष का हि नहीं अपितु पूरे विश्व का उत्थान किया। स्वामी जी एक ऐसे व्यक्तित्व के ध्नी थे जिन्हें शायद ही किसी लेखक की कलम बयां कर सकती है। अमेरिका में उनके कुछ मिनटों के भाषण ने पूरे अमेरिका को उनका शिष्य बना दिया। उनके भषण की शुरूआती पंक्ति ‘मेरे अमेरिकी भाई व बहनों’ ने जैसे पूरे अमेरिका को दिवाना ही कर दिया था। उनकी भाषा व ज्ञान को देखते हुए अमेरिकी मीडिया ने उन्हें ‘साइक्लाॅनिक हिंदू’ का नाम दिया। स्वामी जी एक प्रतिभावन व्यक्ति थे जिनका पूरे विश्व ने सम्मान व प्यार किया। अमेरिका से लौटने के बाद उन्होंने भारतवासियों को संबोध्ति करते हुए कहा था ‘‘नया भारत निकल पड़े मोची की दुकान से, भाड़भंजे के भाड़ से, कारखाने से, हाट से, बजार से, निकल पड़े झाडि़यों, जंगलों, पहाड़ों, प

अपने ही घरों में दम तोड़ती भारतीय बेटियाँ

अपने ही घरों में दम तोड़ती भारतीय बेटियाँ नई दिल्ली। गौरतलब है कि कुछ दिनों से पूरा देश बदलाव देख रहा है।  इन बदलावों से भारतीय बेटियों पर भी असर पड़ा है। वर्ष 2013 में यौन उत्पीड़न के मामलों मंे कई बड़े चेहरे सामने आए। चाहे वो ए. के. गांगुली व तरुन तेजपाल जैसे दिग्गज हो या संत का चोला पहने आसाराम और नारायण सांई हो। 2014 की शुरुआत में ही, कोलकाता में 12 वर्ष की बच्ची के साथ बलत्कार कर उसे गर्भवती बनाकर जला देने वाली खबर से पूरे देश की रूह कांप गई। लड़कियों को पूजे जाने वाले देश भारत में शायद ही कोई ऐसा दिन होता है जब यौन उत्पीड़न की खबर नहीं आती है। कितने ही यौन उत्पीड़न के मामले घर की चारदिवारी में ही कैद होकर दम तोड़ देते हैं।  आज कितनी ही गृहिणियों, बच्चियों व महिलाओं को अपने ही घर में अपने ही भाई, बाप, मामा, चाचा, व ताउफ के यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं। समाज में ऐसे मुद्दे खुलकर सामने नहीं आते चाहे इसे हमारे समाज का दुर्भाग्य कहिए या पुरूष प्रधनता का परिणाम। महिलाओं व बच्चियों को सिर्पफ मंनोरंजन का समान समझ लिया गया है। उनकी आवाज, सिसकियां, आंसू व दर्द सिर्पफ चारद

ना विचार, ना विमर्श, बस हैं तो लुभावने वादे

ना विचार, ना विमर्श, बस हैं तो लुभावने वादे  दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्राी अरविंद केजरीवाल एक के बाद एक एलान कर दिल्लीवासियों को अपनी ओर आकर्षित करते जा रहे हैं। ऐसे में मालूम होता है कि मुख्यमंत्राी साहब इन मुद्दों की बुनियाद टटोले बिना ही वादे किए जा रहे हैं। अब उनके 20 किलोलीटर मुफ्रत पानी के वायदे पर ही गौर पफरमा लिजिए। 1 करोड़ 20 लाख की जनसंख्या वाली राजधनी में मात्रा 19 लाख ही पानी के कनेक्शन है और उनमें से भी केवल 9 लाख ही मीटर कनेक्शन्। ऐसे में ये लोकलुभावन तोहपफा है किसके लिए? पूरी दिल्ली के वोट बटोरने के बाद पानी की सौगात केवल 9 लाख घरों को ही, ये कैसी खानापुर्ति हुई। मुख्यमंत्राी को सुर्खियां बनाने की इतनी जल्दी थी कि उन्होनें आनन-पफानन में पफैसला तो ले लिया लेकिन यह भी न सोचा कि द्वारका व वसंत कुंज जैसे हाउसिंग सोसाइटियों में पानी कैसे  पहुंचेगा? जहंा पाइप लाइन है ही नहीं वहां पानी कैसे पहुंचाया जाएगा? ऐसे में मुख्यमंत्राी ने दिल्ली के कोने-कोने में पानी पहुंचाने वाले मददगार टैंकर वाले सहयोगियों को भी टैंकर मापिफया बता उखाड़ पेंफकने की बात कह डाली है। यदि मुख्यमं

दंगों की आग पर सिकेगी लोकसभा चुनावों की रोटी

दंगों की आग पर सिकेगी लोकसभा चुनावों की रोटी इंसाफ का इंतजार करती बूढ़ी हो गई आंखें, जख्म पर मोटी परत चढ़ रही थी, पीढ़ी आव्रफोश को दबा आगे बढ़ रही थी, तभी लोकसभा चुनावों ने दस्तक दी और सब दोबारा स्पष्ट रूप से समक्ष आ गया। वो दर्द का मंजर, वो कत्लेआम, वो नरसंहार वापस ताजा हो गया। समुदायों में पूर्वजों के अपमान व नरसंहार के लिए इंसापफ का आव्रफोश जाग गया। देश के तमाम सियासी नेता चुनावों के समीप आते ही एक दूसरे के खिलापफ दंगों की राजनीति खेलना शुरू कर देते हैं। चाहे वो भाजपा के खिलापफ गुजरात के सन् 2002 के दंगों को लेकर हो या पिफर कांग्रेस के खिलापफ सन् 1984 के सिख दंगे हों। सियासत की गरमी इन दंगों से बढ़ती जा रही है। कांग्रेस व भाजपा का तो इतिहास रहा है की ये दोनों अपने सियासी पफायदों के लिए दंगों व समुदायिक बंटवारों का दांव खेलकर आगे बढ़ते गए हैं। परंतु राजधनी में भ्रष्टाचार व आम आदमी के मुद्दों से जीतकर आई आम आदमी पार्टी भी अब समुदायिक बंटवारे की राजनीति में उतर आई है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांध्ी के द्वारा एक टीवी कार्यव्रफम में दिए गए साक्षत्कार में उन्होंने सन् 1984 के सिख दंगों

मीडिया ने बनाया है 'एएपी' को

मीडिया ने बनाया है 'एएपी' को गुरुवार को आप ने विश्वास मत जीत लिया। विश्वास मत के लिए हुए चुनाव में आप को 37 विधयकों ने समर्थन देकर विश्वास मत दिलवा दिया। 2013 में आयी आम आदमी पार्टी शुरुआत से ही सुर्खियों में बनी हुई है। सरकार में आते ही मुख्यमंत्र अरविंद केजरीवाल तेापफेां ने दिल्ली की जनता को उनकी अेार और आकर्षित किया तो वहीं दूसरी ओर अन्य राज्य सरकारों को विचार करने पर मजबुर कर दिया। भारत के इतिहास में यह एक ऐसा समय चल रहा है जब अत्यध्कि व्यक्ति देश के मुद्दों व बदलाव से जुड़ रहे हैं। आज आम आदमी पार्टी के कारगार व लोकप्रिय होने का बहुत बड़ा कारण मीडिया है। अरविंद केजरिवाल ने कभी भी अपने आपको सुरखियों से हटने नहीं दिया। पिफर चाहे वो अन्ना के साथ रह कर या पिफर उनसे अलग रह कर। मिडिया ने भी उनके द्वारा किए गए वादों व एलानों को जनता तक पहुंचाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। मिडिया ने उनके भाषणों, जनसभाओं, रैलियों को अत्याध्कि सुर्खियों में रखा। अरविंद केजरिवाल ने भी मीडिया को हर दुसरे दिन नए अवसर दिए ओैर सुर्खियों में बने रहे। चाहे वो काभी उपवास करके, बिजली के खंभे पर चढ़कर