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चुनावी महाभरत की रोमांचक टक्कर

चुनावी महाभरत की रोमांचक टक्कर देश में चुनावी रण शुरू हो चुका है और सभी की नजरें बनारस की सीट पर है। हों भी क्यों न, इस चुनावी महाभरत में सबसे रोमांचक टक्कर होने जा रही है। भाजपा के प्रधनमंत्राी पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी और राजधानी दिल्ली की कुर्सी छोड़ भाग खड़े हुए पूर्व मुख्यमंत्राी अरविंद केजरीवाल आमने सामने हैं। ऐसे में यहां की चुनावी सरगर्मी और बढ़ जाती है। यदि बात की जाए मोदी कि तो ये सापफ दिखता है कि मोदी की लहर है परंतु यह मोदी को पूर्ण बहुमत दिला पाएगी यह नहीं यह कहना थोड़ पेचिदा हो जाता है। बनारस कई र्ध्मों का गढ़ है और इस चुनावी बयार में यहां मतदान का ध््रवीकरण हो रहा है। केजरीवाल खुद भी अब बनारस जा पहुंचे है। ऐसें में देखने वाली बात यह होगी कि क्या अपनी कुर्सी के लिए केजरीवाल भी संाप्रदायिक व जातिय राजनीति पर खुलकर उतर आएंगें? देश भर की चुनावी चौपाल में जिकर अब बनारस की तपती चुनावी रण का हो रहा है। और हो भी क्यों न जिस कदर पिछले कुछ महिनों में मीडिया ने केजरीवाल को चढ़ाया है उससे दर्शकों को भी केजरीवाल की रोजाना नई पटकथा देखने की लत लग गई है। ऐसे में पफैसला अब 16 मई को ही ह...

चुनावी महाकुंभ का नया परपंच

                            चुनावी महाकुंभ का नया परपंच भारत के प्रत्येक पांच वर्षों में होने वाले राजनीतिक महाकुंभ का बिगुल बज चुका है। एक से एक राजनीतिक पंडितों ने अपने सभी यज्ञ, हवन व मंत्रों को इस महाकुंभ में छोंक दिया है। सब का एक मात्रा ही मकसद है, कुर्सी हथियाना। ऐसे में एक-एक कर सभी नेता अपने प्रत्येक दांव पेंच को खेल लेना चाहता है। कोई भी इसमें पीछे नहीं रहना चाहता है। सभी एक से एक परपंच रचने में लगे हुए हैं। भले ही इन चुनावी परपंचों के खातिर किसी को कितना भी जलिल होना पड़े पर अब सब मंजुर है। ऐसे ही एक राजनीतिक पंडित केजरीवाल भी अपनी गुण भग करते  हुए मालूम होते हैं। उनके ऐसे गुणा भाग पर संदेह होना भी लाज्मी है। कैसे एक पूर्व मुख्यमंत्राी के उफपर एक के बाद एक हमले हो सकते हैं? क्यों केजरीवाल ने किसी भी हमले कि जांच के लिए रिपोर्ट दर्ज नहीं करवायी? कैसे एक ही नेताजी को बार बार मारा जा सकता है? अब चाहे इसे केजरीवाल का दुर्भाग्य कहिए या पिफर उनके द्वारा रचित एक नाटक, दोनों ही स्थिति इस महाकुंभ की क्षति ...

मीडिया ने बनाया है 'एएपी' को

मीडिया ने बनाया है 'एएपी' को गुरुवार को आप ने विश्वास मत जीत लिया। विश्वास मत के लिए हुए चुनाव में आप को 37 विधयकों ने समर्थन देकर विश्वास मत दिलवा दिया। 2013 में आयी आम आदमी पार्टी शुरुआत से ही सुर्खियों में बनी हुई है। सरकार में आते ही मुख्यमंत्र अरविंद केजरीवाल तेापफेां ने दिल्ली की जनता को उनकी अेार और आकर्षित किया तो वहीं दूसरी ओर अन्य राज्य सरकारों को विचार करने पर मजबुर कर दिया। भारत के इतिहास में यह एक ऐसा समय चल रहा है जब अत्यध्कि व्यक्ति देश के मुद्दों व बदलाव से जुड़ रहे हैं। आज आम आदमी पार्टी के कारगार व लोकप्रिय होने का बहुत बड़ा कारण मीडिया है। अरविंद केजरिवाल ने कभी भी अपने आपको सुरखियों से हटने नहीं दिया। पिफर चाहे वो अन्ना के साथ रह कर या पिफर उनसे अलग रह कर। मिडिया ने भी उनके द्वारा किए गए वादों व एलानों को जनता तक पहुंचाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। मिडिया ने उनके भाषणों, जनसभाओं, रैलियों को अत्याध्कि सुर्खियों में रखा। अरविंद केजरिवाल ने भी मीडिया को हर दुसरे दिन नए अवसर दिए ओैर सुर्खियों में बने रहे। चाहे वो काभी उपवास करके, बिजली के खंभे पर चढ़कर...