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आखिर अब आगे क्या …

जोरों-शोरों से चुनावी बिगुल बजा, महारथी मैदान में उतर आए, भीषण गरजना के साथ रणभूमि सजी और अब यह अपने समापन की और परंतु क्या वकई यह युद्ध समाप्त हुआ। क्या इसके उपरांत कोई नया बिगुल नहीं बजेगा, क्या कोई नया रण आरंभ नहीं होगा, क्या राष्ट्र की राजनीतिक सरजमीं ठंडी हो जाएगी। ऐसे ही तमाम सवाल देश के दिल में उफ्फान मार रहे हैं। आखिर अब नई सरकार बनने के बाद आगे क्या। जिस चुनावी लहर से देश ग्रस्त था, उसके समापन का रंग कैसा होगा। यह देखने के लिए पूरा विश्व उत्सुक है और उनका उत्सुक होना भी लाज्मी है। जो जन समर्थन इस चुनावी समर में दिखा, वह पहले कभी भी देखने को नहीं मिला। मतदान केंद्रों पर उमड़ी मतदाताओं की भीड़ यह साफ बायां कर रही थी कि जनादेश में जागरूता, कामनाएं, उम्मीद, और आशाएं अजागर हो उठीं हैं। वो एक बेहतर कल, एक बेहतर भविष्य और तमाम झंझटों से मुक्त एक समाज चाहता है। पर क्या चुनावी नतीजों का सूरज मतदाताओं की उम्मीद को ज्योतिर्मय पायेगा? मतदाताओं ने जिस जोश, उत्साह, जनसमर्थन से एकजुट होकर राष्ट्र हित के लिए मतदान किया, क्या वो नतीजों के बाद अदृशय हो जायेगा? सड़कों पर उतरी...

चुनावी महाकुंभ का नया परपंच

                            चुनावी महाकुंभ का नया परपंच भारत के प्रत्येक पांच वर्षों में होने वाले राजनीतिक महाकुंभ का बिगुल बज चुका है। एक से एक राजनीतिक पंडितों ने अपने सभी यज्ञ, हवन व मंत्रों को इस महाकुंभ में छोंक दिया है। सब का एक मात्रा ही मकसद है, कुर्सी हथियाना। ऐसे में एक-एक कर सभी नेता अपने प्रत्येक दांव पेंच को खेल लेना चाहता है। कोई भी इसमें पीछे नहीं रहना चाहता है। सभी एक से एक परपंच रचने में लगे हुए हैं। भले ही इन चुनावी परपंचों के खातिर किसी को कितना भी जलिल होना पड़े पर अब सब मंजुर है। ऐसे ही एक राजनीतिक पंडित केजरीवाल भी अपनी गुण भग करते  हुए मालूम होते हैं। उनके ऐसे गुणा भाग पर संदेह होना भी लाज्मी है। कैसे एक पूर्व मुख्यमंत्राी के उफपर एक के बाद एक हमले हो सकते हैं? क्यों केजरीवाल ने किसी भी हमले कि जांच के लिए रिपोर्ट दर्ज नहीं करवायी? कैसे एक ही नेताजी को बार बार मारा जा सकता है? अब चाहे इसे केजरीवाल का दुर्भाग्य कहिए या पिफर उनके द्वारा रचित एक नाटक, दोनों ही स्थिति इस महाकुंभ की क्षति ...

अराजक, अभिमानी व अपरिपक्कव राजनेता

अराजक, अभिमानी व अपरिपक्कव राजनेता सरकार बनते ही जन लोकपाल मिला, महिलाओं की सुरक्षा हेतु कमांडों पफोर्स, कांग्रेसी व शीला दीक्षित जेलों में बंद हुए व ऐसे ही ढेरों बेबुनियादी वादों को पूरा करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्राी राजधनी की राजनीति में एक नया मोड़ ले आए हैं। सरकार में न होने से पहले इमानदार केजरीवाल सीबिआई को मुक्त करने की बात कहते थे, अपने प्रचार में भी शीला दीक्षित को दिल्ली बलात्कार में लाचार बता और सड़कों पर प्रदर्शन करके वोट मंागते थे। ऐसे ही तमाम मुद्दों पर ख़रा उतरने के लिए ईमानदारी के ठेकेदार अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्राी रात-रात भर जाग कर कार्य कर रहे हैं। वो इस बात का भी खास ख्याल रखते हैं कि उनके यह तमाम कर्यशैली आवाम को पता चल सके तभी तो बिना मीडिया के कोई भी कदम नहीं उठाते हैं। राजधनी के आदरणीय कानून मंत्री सोमनाथ भारती ने हाल ही में युगांडा की महिलाओं के घर पर मध्यरात्राी में हमला बोल दिया। यदि उन विदेशी महिलाओं की मानें तो हमारे इमनदार मंत्राी जी ने उनके साथ न केवल अभद्र व्यवहार किया अपितु मार पीट भी कि। भारत के संविधन में यह स्पष्ट रूप ...