Skip to main content

कॉलेज का पहला दिन, कैसे करें इंजॉय

कॉलेज का पहला दिन, कैसे करें इंजॉय 

IMG_3531
 दिल्ली के सभी कॉलेजों में तकरिबन एडमिशन पूरे हो चुके हैं और सभी स्टूडेंटस अपने कॉलेज को लेकर काफी उत्साहित हैं। नए कॉलेज को लेकर सभी स्टूडेंट्स के मन में ढेर सारी उम्मीदों के साथ कुछ सवाल व डर भी हैं। जहां एक ओर अच्छे दोस्त, अच्छा फ्रेंड सर्किल, अच्छे माहौल की उम्मीद सभी स्टूडेंटस कर रहे हैं। तो वहीं दूसरी ओर अकेलापन, अनजानी जगह व रैगिंग का डर काफी स्टूडेंट्स को अंदर ही अंदर डरा रहा है। ऐसे में स्टूडेंट्स को घबराने की जरूरत नहीं है। उन्हें बस कुछ बातों का ख्याल रखना है और वो अपनी कॉलेज लाइफ खुल कर इंजॉय कर सकते हैं।

रैगिंग से घबराएं नहीं : रैगिंग फ्रेशर स्टूडेंट्स और सिनियर्स के मेल मिलाप का एक तरीका है। लेकिन अब इसे पूरी तरह बंद कर दिया है, इसलिए फ्रेशर्स को इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है।

रहें कॉन्फिडेंट : कॉलेज के पहले दिन से ही कॉन्फिडेंट रहें। अपने कॉन्फिडेंस को मेनटेन करने की कोशिश करें। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि आप घमंड में रहें और मिस्टर या मिस कॉन्फिडेंट बनने की बजाए आप मिस्टर या मिस एटिट्यूट बन जाए। कॉन्फिडेंट होने का मतलब है की आप सभी काम कॉन्फिडेंस के साथ करें। यदि आपके सिनियर्स आपको कुछ गलत करने को कहें तो उसे मना बेजिझक होकर करें। इससे आप नई चुनौतियों का सामना कर पाएंगे और आप को अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आकर काम करने का मौका मिलेगा।

आगे बढ़कर मिलाएं हाथ : कॉलेज में आप की ही तरह कई नए स्टूडेंट्स आएंगे। ऐसे में क्लास के पहले दिन से ही सभी से बात करने की कोशिश करें। कोशिश करने पर ही आपको कोई आपकी विचारधारा से तालमेल खाता स्टूडेंट मिल जाए। जो भविष्य में आगे चलकर आपका अच्छा दोस्त बन सकें। किसी से भी बात करने में शर्माएं नहीं। जबतक आप आगे बढ़कर बात नहीं करेंगे तबतक आप सामने वाले को नहीं जान पाएंगे। इसलिए पहले दिन से ही सभी से बात करें।

समझदारी से पहनें कपड़े : कॉलेज जाते समय अपने आउटफिटस का खास ख्याल रखें। कॉलेज जाते समय आरामदायक कपड़े पहनें। ताकि आप कॉलेज की भाग दौड़ व उछल कूद का बिना रूके लुत्फ उठा सकें। गर्मी के इन दिनों में कोशिश करें कि आप सूती कपड़े पहनें और अपने साथ रूमाल रखना न भूलें।

कैंपस को दें समय: कॉलेज का असली मजा कॉलेज कैंपस की मौज मस्ती में आता है। इसलिए जितना हो उतना समय कॉलेज कैंपस को जानने में बिताएं। सभी कॉलेज के अंदर ऐसे कुछ अड्डे या प्वाइंट्स, जरूर होते हैं जहां आप अपने दोस्तों के साथ गप्पे मार सकते हैं व उन्हें और अच्छे से जान सकते हैं। ऐसे अड्डों व प्वाइंट्स पर आप कई नए दोस्त बना सकते हैं। साथ ही कैंपस की अच्छी नॉलेज आपको अपने फ्रेंड सर्किल में कूल भी बनाती है।

सवालों से न घबराएं: अगर क्लास में कुछ भी समझ न आए तो टीचर्स से बिना घबराए सवाल पूछें। सवाल पूछने से ही आपकी समस्या का समाधान होगा। साथ में इससे आपका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
भाषा व व्यवहार का रखें ख्याल: कॉलेज में बात करते समय अपनी भाषा का खास ख्याल रखें। बिलकुल भी ऐसी बात न करें जो किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाए। ऐसी बातों से बचने की कोशिश करें जो किसी धर्म, वर्ग या राज्य के खिलाफ हो। साथ ही, ऐसे शब्दों के प्रयोग से भी बचें जिनके अर्थ को तोड़ा-मरोड़ा जा सकें।

कॉलेज के दिन जीवन के हसीन दिन होते हैं। इन दिनों को बेबाक और बिंदास होकर जिएं।

रजत त्रिपाठी की कच्ची कलम की श्याही से.…
 

Comments

Popular posts from this blog

अंधियारी रात और रोशनी...

शादी हुए एक साल से ज्यादा हो गया है.. लेकिन आज भी न जानें क्यों विकास को कहीं न कहीं लगता है कि कभी न कभी तो रोशनी लौट आएगी… लौटा आएगी विकास के पास शायद अपने वादों को निभाने या फिर उसे मासूम प्यार के लिए जो न रिश्ते समझते थे और न ही परिस्थिति, समझते थे तो केवल प्यार… रोशनी की शादी हो जाने के बाद भी विकास आगे न बढ़ पाया था लेकिन इस बात का एहसास ही उसे करीब दो साल बाद हुआ. रोशनी ने जब फोन पर कहा कि किसी और के साथ उसका रिश्ता तय हो गया तो विकास ने ठान लिया कि अब न वह रोशनी को फोन करेगा और नहीं रोशनी की निजी जिंदगी में दखल देगा… मन में ऐसा ठन विकास ने करीब सालभर रोशनी से बात करने की कोशिश तक न की... रोशनी की शादी हो जाने के बाद कही महीनों तक वह खुद को समझाता रहा कि रोशनी नहीं तो कोई और कभी न कभी अपने हाथ में दिया लिए उसकी अंधियारी जिंदगी में आएगी… लेकिन उसे कहां पता था कि वह अब तक रोशनी से आगे बढ़ ही नहीं पाया था… वह अब भी वहीं खड़ा था.. खड़ा था उस रोशनी के इंतजार में जिससे उनसे बुढ़ापा साथ बितानी का वादा लिया था… उस रोशनी के इंतजार में जिसके जिस्म से नहीं बल्कि उसके हो...

Phone Call: A bridge after 2 years!

So here it is... back after almost a year... The last time I opened my blog and wrote a piece   (सरकारी प्रेम कहानी)  was Sept. 20th, 2017... Representative Image (Credit: Digit ) It was a lazy noon of Sunday and Vikas was tired of being home for the last four days. He had no one to talk to and nothing to do in these four days. So this Sunday evening he decided to call his old friends... but which old friends? On the journey of accomplishing the  Busy Professional tag, he had lost contact of almost everyone from his university. But in the desire to talk with some old friends, he started scrolling down his 600-contacts phonebook, and all of sudden his finger stopped at the name of a person whom he met only once in 2015. This name was "Shama Khan, Noida" He paused for a minute and scenes from 2015 started to run through his mind. Shama Khan, The same Shama Khan who was not merely his Facebook friend but also a senior in the industry, made his finger stop at...

सरकारी प्रेम की कहानी!

इस मॉडर्न हो चुके जमाने में भी कई सदियों पीछे थी उनकी सो कॉल्ड प्रेमकथा। उसे केंद्र सरकार की योजनाओं की तरह फंड तो मिलता था लेकिन हकीकत में उसका उपयोग न हो पाता था। वट्सएप और फेसबुक की दुनिया से दोनों मुखातिब तो थे। लेकिन पुरानी फिल्मों की तरह मॉडर्न पत्राचार ब्लॉग के जरिए ही होता था।  वह रात में उल्लू की तरह बैठकर लिखता तो वह वहां सात समुद्र पार भोर में उठी किसी गौरेया की तरह उसे पढ़ती।  कभी गुस्साती या शर्माती तो 12 रुपये प्रति मिनट की कॉल दर से यहां इस उल्लू को नींद से जगा देती। कभी हफ्ते-15 दिन में दोनों अपनी स्टोरी के लो बजट को भूल, 80-90 मिनट तक बातें ही करते रहते। पता नहीं क्या मिलता था ऐसी बातों से...  खैर, अब न और पत्राचार होगा और न ही कॉल रेट की टेंशन... गुड बाय... टेक केयर, विथ लव फ्रॉम इंडिया