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मीडिया और प्रधानमंत्री मोदी!

Photo Credit : Outlook India
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में सरकार गठन के बाद से ही देश के तथाकथित चौथे स्तंभ पर शिकांजा कसना शुरू कर दिया है। इसका पहला प्रमाण तब मिला जब अपनी विदेश यात्राओं पर उन्होंने पत्रकारों की संख्या को काट दिया। प्रधानमंत्री के साथ विदेश दौरों पर जाने वाली पत्रकारों की टोली की परंपरा को नरेंद्र मोदी ने खत्म कर दिया। इस कदम के दो पहलुओं में से एक पहलु को लोगों ने सराहहा तो दूसरे पहलु पर ध्यान न देना वाजिब नहीं है। प्रधानमंत्री के साथ सरकारी खजाने पर विदेशों में मजे लुटने वाले पत्रकारों को रोक प्रधानमंत्री ने भले ही जनता के टैक्स से होने वाले खर्चों में थोड़ी कटौती कर दी हो लेकिन बावजूद इसके प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम से मीडिया के साथ साथ देश के आवाम को अप्रतयक्ष रूप के काफी बड़ा नुकसान हो रहा है। मीडिया केवल खबरों को पहुंचान का काम ही नही करी बल्कि सरकार व जनता के बीच संवाद भी स्थापित करती है। एक ऐसा संवाद जिसमें दोनों तरफों से संवाद की संभावाना हो, जहां दोनों तरफ के विचारों व संवादों को एक दूसरे तक पहुंचाया जा सके। लेकिन विदेश यात्राओं में व्यस्त रहने वाले नरेंद्र मोदी ऐसे ही संवादों से बचते नजर आते हैं। ऑन बोर्ड ब्रिफिंग परंपरा को खत्म कर चुके प्रधानमंत्री मोदी अब विदेश यात्राओं का निचोड़ पत्रकारों के तीखे सवालों से बचते हुए जनसभाओं में बतलाते हैं, वो वहां देश की मासूम जनता को अपनी विदेश यात्रा के बारे में बताते है कैसे उन्होंने फलाने देश में बेचारी जनता के लिए गरीबी, फसलों की पैदावार, रोजगार और न जाने किन किन मुद्दों पर चर्चा करी। बेचारी मासूम जनता अपनी हथेलियों की पीटते हुए, गला फाड़-फाड़कर मोदी नाम चिल्लाते हुए मोदी की इन बातों पर अपना प्रेम दिखाने की कोशिश करतती है। लेकिन क्या सच में मोदी की विदेश यात्राओं में ऐसी किसी बातों का जिकर हुआ और यदि हुआ भी तो मोदी की ओर से उन विषयों पर विदेशों में कौन से समझौते हुए, कौन से कदम उठाए। पत्रकारों के सवालों से बचते हुए मोदी जमकर अपने शब्दों से जनता को अंधेरे में रखते नजर आते हैं। टेकनोलॉजी प्रेमी मोदी जमकर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। जिसके फलस्वरूप जहां एक ओर ट्विटर पर ही मोदी के 8.26 मिलियन फॉलोवर्स हैं तो दूसरी ओर मोदी के फेसबुक पेज पर ही 25,479,904 लाइक्स हैं। मोदी के एक ट्वीट पर हजारों रिट्वीट होते हैं, एक पोस्ट पर लाखों लाइक्स व कमेंट होते हैं, देश का मीडिया उनके ट्वीट को ब्रेकिंग न्यूज बना जनता में परोसता है। लेकिन इन सब से एक बात जो निकल कर आती है वो यह कि नरेंद्र मोदी केवल वो ही बोलते हैं दो वो चाहते हैं, वो केवल वो ही दिखाते हैं जो वो दिखाना चाहते हैं। देश का चौथा स्तंभ केवल मुंह फाड़कर मोदी को देखता रहता है, उनके संवाद को जनता तक पहुंचाता रहता है। मोदी के लिए चौथा स्तंभ मात्र एक कटपुतली बन कर रह गया है। जिसे जहां चाहो, जब चाहो अपने अनुसार घुमा दो और कुछ नहीं तो पत्रकारों को बुलाकर एक भोज सम्मेलन कर लीजिए बस हो गया चौथा खंभा भी खुश। और क्या चाहिए विदेशों में बड़े-बड़े मुद्दों पर बात करने वाले मोदी से बेचारी जनता खुश, ट्विट से ही न्यूज देने वाले मोदी से मीडिया खुश। यदि किसी को नराजगी हो सकती है तो देश के प्रजातंत्र को, जो अब केवल स्कूली किताबों में ही जनता की सरकार की परिभाषा ढोह रही है। जिस सरकार में जनता की अवाज ही सरकार तक न पहुंचे वह सरकार कैसी जनता की सरकार। मीडिया ही एक ऐसा मध्यम है जो जनता के सवालों को सीधे ही सरकार तक पहुंचाती है लेकिन मीडिया सवालों के निरूतर करते प्रधानमंत्री मोदी सीना ताने आगे बड़े चले जा रहे हें। नरेंद्र मोदी को समझना होगा कि मीडिया के साथ इस तरह के रवैये से वो गुजरात की ही तरह पूरे देश में भले ही मजबूत नींव जमा डाले लेकिन इससे नुकासन होगा तो केवल देश के प्रजातंत्र को, देश की डेमोक्रेसी को। 

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